Srinagar के बारे में बात करें तो Jammu और Kashmir को उसकी खूबसूरती की वजह से कौन नहीं जानता है लेकिन इस बात का एक काला पहलू यह भी है कि यह देश के सबसे अशांत इलाको में से है क्योंकि आजादी के बाद से ही विभिन्न कारणों से यह हिंसा का शिकार रहा है | अगर हम बाकि सब बातों को छोडके गौर करें तो यह देश का सबसे खूबसूरत राज्य है जिस पर प्रकृति ने खूब अपना आशीर्वाद दिया है और इसी वजह से देश विदेश से लोग जम्मू और कश्मीर को देखने आते है | आज हम Srinagar के बारे में बात कर रहे है तो चलिए आज की इस पोस्ट में Srinagar history के बारे में कुछ बातें जानते है –

Srinagar History in hindi / श्रीनगर का इतिहास
Srinagar का इतिहास बहुत पुराना है और करीब आज से 2000 साल पहले इसी स्थापना हुई थी | लगभग 3rd century BC में राजा प्रवरसेना ने इसकी स्थापना की थी और जल्दी ही यह भारत के उस समय के सबसे बड़े राज्य मौर्य साम्राज्य का हिस्सा हो गया | मौर्या साम्राज्य के महान सम्राट अशोका जो कि जन्म से हिन्दू थे और बाद में उन्होंने बौध धर्मं का चुनाव कर लिया था ने ही कश्मीर और श्रीनगर में रहने वाले लोगो को बौद्ध धर्म से अवगत करवाया था | Srinagar में 1st century AD आते आते राज्य का कण्ट्रोल कुषाण राजवंश के पास चला गया और उस समय तक भी इस इलाके में बौद्ध धर्म की शिक्षाओं का प्रसार प्रचार होता रहा और यह क्रम 13वीं शताब्दी तक चला और हम कह सकते है कि 14वीं शताब्दी के शुरुआत तक यह होता रहा | उस समय तक आस पास के राज्य मुस्लिम शासकों के कब्जे में थे और मुग़ल शासकों में अकबर ही था जिसने सबसे पहले इस्लाम का परिचय श्रीनगर में करवाया और मुग़ल साम्राज्य में अब श्रीनगर में शामिल हो गया |
हालाँकि इसके बाद 1707 में औरंगजेब की मौत के बाद मुग़ल साम्राज्य का विघटन होने लगा और Srinagar का नियंत्रण दुर्रानी के हाथों में चला गया जिन्होंने घाटी में अगले कुछ दशकों तक राज किया और 1814 में महाराजा रणजीत सिंह ने इलाके को घाटी के अधिकतर इलाके के साथ अपने नियंत्रण में ले लिया | तीन दशक से अधिक समय तक यंहा महाराजा रणजीत सिंह का ही राज रहा जिसका अंत “लाहौर संधि” के साथ हुआ जो कि सिख शासकों और ब्रिटिश के बीच हुई थी जिसके अनुसार महाराजा गुलाब सिंह को पूरी घाटी का राजा बना दिया गया और इसके अनुसार भारत की ब्रिटिश रियासतों का यह हिस्सा बन गया |
अब आधुनिक भारत का गड़बड़झाला शुरू होता है जो 1947 में पाकिस्तान के भारत से अलग होने के साथ ही शुरू होता है | जब पार्टीशन हुआ तो उसके बाद पाकिस्तान ने कश्मीर के कुछ हिस्से पर कब्ज़ा कर लिया और उस समय घाटी के राजा थे महाराजा हरी सिंह जो कि गुलाब सिंह के ही वंशज थे उन्होने हो सकने वाले नुकसान का अंदाजा लगा लिया और एक संधि के तहत उन्होंने खुद की रियासत को भारत में शामिल करवाने के लिए हस्ताक्षर कर दिए और इसी वजह से भारत और पाकिस्तान का 1947 का युद्ध हुआ जिसमे भारत ने अधिकतर इलाके को पाकिस्तान से वापिस पा लिया था लेकिन पाकिस्तान दे द्वारा इस मामले को संयुक्त राष्ट्र संघ ले जाने की वजह से कुछ हिस्सा पाकिस्तान के पास ही रह गया था जो कि अब “ आजाद कश्मीर “ के नाम से जाना जाता है जबकि जो हिस्सा भारतीय सेना ने अपने कब्जे में कर लिया वह भारत का इंटीग्रल हिस्सा है |
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