अंतराष्ट्रीय संगठन नाटो का जानिए इतिहास | Nato History in hindi

WhatsApp Group Join Now

Nato के बारे में हमने सुना है और नाटों का पूरा नाम है North Atlantic Treaty Organization जिसमे कुल 28 देश ऐसे है जो इसके Member है और शोर्ट में कहें तो यह एक अंतर-सरकारी सैन्य गठबंधन है इसे उत्तर अटलांटिक एलायंस भी कहा जाता है चूँकि यह एक संधि पर बनी है और इस पर दिनांक 4 अप्रैल 1949 को हस्ताक्षर किये गये थे | तो चलिए Nato history के बारे में कुछ और बातें जानते है और इसके काम करने के तरीके के बारे में भी हम बात करेंगे |

Nato History in hindi
Nato History in hindi

Nato History in Hindi

नाटो चूँकि एक संधि के आधार पर बना एक सैन्य संगठन है और इस बारे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि इसका काम क्या होगा | अगर आप नहीं जानते तो आपको बताते हुए चलते है कि इसके सदस्य देशो के साथ मिलकर एक ऐसी रक्षा प्रणाली और सगठन का गठन किया गया है जिसमे किसी भी सदस्य देश के ऊपर बाहरी हमने की स्थिति में nato  किसी भी बाहरी पार्टी के हमले के जवाब में आपसी रक्षा के लिए सहमत हैं। तीन nato सदस्य (संयुक्त राज्य अमेरिका, फ्रांस और यूनाइटेड किंगडम) वीटो की शक्ति के साथ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य हैं और आधिकारिक तौर पर परमाणु हथियार राज्य हैं। नाटो का मुख्यालय हररेन, ब्रुसेल्स, बेल्जियम में स्थित है, जबकि एलाइड कमांड ऑपरेशंस का मुख्यालय मोन्स के पास है।

Nato एक ऐसा सैन्य गठबंधन है जिसमें उत्तर अमेरिका और यूरोप के 28 स्वतंत्र सदस्य देश शामिल है और  जिनमें से सबसे नए जुड़ने वाले देशों की बात करें तो ये अल्बानिया और क्रोएशिया है जो nato में अप्रैल 2009 में शामिल हुए। हालाँकि अगर शुरूआती समय की बात करें तो nato की सरंचना और उद्देश्य राजनीतिक मालूम होते थे और यह एक राजनीतिक संगठन के तौर पर देखी जाती थी लेकिन कोरियाई युद्ध के चलते एक एकीकृत सैन्य संरचना का निर्माण किया गया । अगर इसकी सरंचना की बात करें तो nato में चार तरह की ईकाईयां है जिसे इस तरह हम समझ सकते है –

  1. परिषद  –  यह नाटों की सर्वोच्च इकाई है। इसका निर्माण राज्य के मंत्रियों से होता है। इसकी मंत्रिस्तरीय बैठक साल में एक बार होती है। परिषद् का मुख्य उत्तरायित्व समझौते की धाराओं को लागू करना है।
  2. उप परिषद् : यह परिषद् नाटों के सदस्य देशों द्वारा नियुक्त कूटनीतिक प्रतिनिधियों की परिषद् होती है जिसमे अलग अलग देश अपने प्रतिनिधि चुनते है और ये नाटो के संगठन से जुड़े हुए देशो के सामान्य हितों वाले विषयों पर विचार करते हैं और इस बारे में अपनी राय देते है ।
  3. प्रतिरक्षा समिति : इसमें nato के सदस्य देशों के प्रतिरक्षा मंत्री शामिल होते हैं। इसका मुख्य काम प्रतिरक्षा, रणनीति तथा नाटों और जो देश नाटो से जुड़े हुए नहीं है उन देशों में सैन्य संबंधी विषयों पर विचार विमर्श करना है।
  4. सैनिक समिति : इसका मुख्य कार्य नाटों की परिषद् एवं उसकी प्रतिरक्षा समिति जो होती है को सलाह देना है। इसमें सदस्य देशों के सेनाध्यक्ष शामिल होते हैं ।
Also Read :   युद्ध के बाद बने साउथ कोरिया का इतिहास जानिये | South korea history in hindi

वैसे सरल भाषा में समझा जाए तो नाटो असल में जब सोवियत संघ ने अंतर्राष्ट्रीय संधियों का उल्लंघन कर 1948 में बर्लिन की नाकेबंदी शुरू कर दी। इसलिए यह विचार किया जाने लगा कि एक ऐसा संगठन बनाया जाया जाना चाहिए जिसकी संयुक्त सेनाएँ अपने सदस्य देशों की रक्षा कर सके और मार्च 1948 में ब्रिटेन, फ्रांस, बेल्जियम, नीदरलैण्ड तथा लक्सेमबर्ग ने बूसेल्स की संधि पर हस्ताक्षर किए और इसके अनुसार सभी सदस्य देशो को यह करना था कि अगर किसी एक देश पर आक्रमण हुआ तो बाकि सदस्य देशो को हर संभव सहायता देनी होगी |

तो ये है Nato History in hindi  और इस बारे में अधिक जानकारी या सलाह के लिए आप हमे ईमेल कर सकते है और हमसे hindi history updates पाने के लिए आप हमे फेसबुक पर फॉलो कर सकते है या फिर नीचे दिए गये घंटे के निशान पर भी क्लिक कर सकते है |’

Rate this post

ReadHindiMei: We provides interesting aricles in Hindi on various topics like Entertainment, Festivals, Education, Shayari,Quotes, Science, Technology etc.

Leave a Comment