Konark Sun Temple के बारे में बात करें तो इसका निर्माण काल 1236-1234 ई.पू में गंग वंश के राजा नृसिंहदेव के द्वारा बनवाए जाने का उल्लेख मिलता है और इस बारे में स्थानीय कथाएं भी प्रचलित है जो थोडा अलग पर ऐतिहासिक महत्व रखती है | मुख्य बात ये है कि कलिंग शैली में बनाये गये इस मंदिर को यूनेस्को द्वारा सन 1984 में विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया है तो चलिए Konark Sun Temple history के बारे में कुछ और बात करते है

कोणार्क सूर्य मंदिर का रहस्य और इतिहास जानिए | Konark Sun Temple
कोणार्क के मंदिर काले ग्रेनाईट और लाल बलुआ पत्थर से बने है और यह मंदिर न केवल भगवान् सूर्य देव के रथ के रूप में निर्मित होने के कारण प्रसिद्द है बल्कि यह अपनी कामुक अदाओं वाली मूर्तियों की वजह से भी प्रसिद्द है | हालाँकि अब यह मंदिर और इसके काफी भाग क्षतिग्रस्त हो चुके है लेकिन फिर भी आज भी यह आकर्षण का केंद्र है और अगर मंदिर के खराब दशा में होने के कारणों की बात करें तो इसके दो कारण है ,
एक तो मुस्लिम आक्रमण और दूसरा मंदिर की खराब वास्तुकला | तीन मंडपों में में बने Konark Sun Temple के दो मंडप तो कब के ढह चुके है और तीसरा जो मंडप बचा हुआ था उसने अंग्रेजो ने अपने काल में रेत और पत्थर भरवा कर जन्हा मूर्तियाँ थी उस जगह को स्थायी तौर पर बंद करवा दिया ताकि यह और अधिक क्षतिग्रस्त नहीं हो पाए |
अगर मंदिर के बारे में और बात करें तो सबसे खास बात ये है कि मंदिर के दक्षिणी भाग में दो घोड़े बने हुए है जिसे उड़ीसा की सरकार ने अपने राजचिन्ह के तौर पर चुना है और प्रवेश पर दो हाथी दर्शायें गये है जो रक्षात्मक मुद्रा में नजर आ रहे है साथ ही मंदिर के बारे में रोचक बात यह कि यह मंदिर भगवान सूर्य के बारे में दिखाता है
और उसकी भव्यता को प्रदर्शित करता है | इसके प्रवेश द्वारा पर नट मंदिर है जो उस स्थान को कहा गया है जन्हा मंदिर में नाच करने वाली नर्तकियां भगवान को अर्पण करने के लिए नृत्य किया करती थी | कुछ मूर्तियाँ और आकृतियाँ भी देखने लायक है जो कामसूत्र से ली गयी है | महान कवि रविन्द्रनाथ टैगोर इस मंदिर के बारे में कहते है “ कि Konark Sun Temple ऐसी जगह है कन्हा पर पत्थरों की भाषा मनुष्य की भाषा से बेहतर है |”
अब अगर मंदिर के नाम के बारे में बात करें तो कोणार्क शब्द, ‘कोण’ और ‘अर्क’ शब्दों के मेल से बना है। जिसमे अर्क का मतलब होता है सूरज और कोण का अर्थ कई जानकार कोने या किनारे से लगाते है | Konark Sun Temple मंदिर उड़ीसा के पुरी के उत्तर पूर्वी किनारे पर तट के करीब बना हुआ है | हालाँकि अब यह मंदिर बुरी अवस्था में है और इतिहासकार बताते है कि ऐसा होने की मुख्य वजह है मंदिर निर्माण का वास्तुकला के विपरीत होना |
बुनियादी तौर पर मंदिर के वास्तु में दोष है जिसकी वजह से यह मंदिर अपने शुरूआती 800 सालों में ही ढह गया जबकि इसके काल या इस से पहले की भी बहुत सी ऐतिहासिक इमारतें अच्छे हाल में है | साथ ही मंदिर के नष्ट होने के पीछे 1508 में हुए आक्रमण भी वजह रहे है जब उड़ीसा के बहुत से हिन्दू मंदिर नष्ट हो गये |
1568 के दौरान चूँकि उड़ीसा मुस्लिम नियंत्रण में आ गया था और उसी समय सूर्य मंदिर के पंडों ने किसी तरह प्रधान देवता की मूर्ति को हटा कर, वर्षों तक रेत में दबा कर छिपाये रखा। बाद में, यह मूर्ति पुरी भेज दी गयी और वहां जगन्नाथ मंदिर के प्रांगण में स्थित, इंद्र के मंदिर में रख दी गयी। एक मत यह भी कहता है कि सूर्य देव की मूर्ति, जो नई दिल्ली के राष्ट्रीय संग्रहालय में रखी है, वही कोणार्क की प्रधान पूज्य मूर्ति है। तरह तरह की परिस्थितियों के वश अठ्ठारहवीं शताब्दी के अन्त तक, कोणार्क ने अपना, सारा वैभव खो दिया और अब यह जगह एक टूरिज्म प्लेस के तौर पर जानी जाती है |
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