Ellora caves history in hindi : Ellora caves यानि के एल्लोरा की गुफाओं के बारे में हम बात करें इस से पहले आपको बता दें की अजंता की गुफाओं के बारे में हम पिछली पोस्ट में बात कर चुके है और आप चाहें तो उसे भी पढ़ सकते है क्योंकि दोनों तरह की लोकेशन में वैसे तो 100 किलोमीटर का फासला है लेकिन दोनों समकालीन धरोहर है तो चलिए Ellora caves history के बारे में थोड़ी और बात करते है और कुछ अहम् जानकारियां प्राप्त करते है
Ellora caves history in hindi
एल्लोरा की गुफाओं में भी अजंता की तरह भारत के चट्टान से निर्मित कुछ बेहद खूबसूरत , ऐतिहासिक और मठ मंदिरों के समूह में से एक है | यह महाराष्ट्र में स्थित ऐसी कुछ ऐतिहासिक जगहों में से एक है जिसे यूनेस्को ने विश्व धरोहर स्थल घोषित किया हुआ है | यह 600-1000 CE के समय काल की है और उसी समय के बौद्ध धर्म , हिन्दू और जैन धर्म के बारे में बहुत कुछ कहती है इसमें हिंदू , जैन और बौद्ध धर्म से जुडी बहुत सी कलाकृतियां है |
यंहा उपस्थित गुफाओं में 16 वी गुफा कुछ खास है क्योंकि यह एक तरह से सबसे बड़ी उस तरह की गुफा है विश्व की जिसमे एक ही पत्थर को काट कर बनाया गया हो | यंहा ऐसा बहुत कुछ है जो ऐतिहासिक और धार्मिक नजरिये से खास है जैसे कि शिव और कैलाश मंदिर को समर्पित स्मारक जो रथ के आकार का है |
Ellora caves के पूरा समूह में 100 गुफाये है जिसमे से 34 ऐसी है जन्हा जनता विजिट कर सकती है यानि के आम लोग जा सकते है | इन गुफाओ को आकार देने के लिए चारानंद्री पहाड़ियों में ऊर्ध्वाधर बेसाल्ट चट्टान की खुदाई की गयी है | इसमें 12 बौद्ध गुफाएं , 17 हिन्दू धर्म से जुड़े ऐतिहासिक तथ्य और 5 गुफाएं जैन धर्म के बारे में बताती है | हर गुफाओं का समूह जो है वो उनके देवताओं को प्रदशित करता है |
Ellora caves के एक साथ पाए जाने का कारण भी समझ में आता है और जानकर इस बारे में कहते है कि Ellora caves जो है वो उस समय के धार्मिक सद्भाव को प्रदर्शित करती है | ऐसा माना जाता है कि हिन्दू वंशो ने हिन्दू स्मारकों का निर्माण किया और राष्ट्रकूट वंश ने कुछ हिन्दू और कुछ बौद्ध स्मारकों का निर्माण किया और यादव वंश ने के समूहों द्वारा जैन स्मारकों का निर्माण किया गया |
Ellora caves के इतिहास में थोडा गहनता से देखा जाये तो समझा जा सकता है कि प्राचीन समय में एलोरा दक्षिण एशिया के प्राचीन मार्ग पर स्थित डेक्कन क्षेत्र व्यापारिक दृष्टि से एक महत्वपूर्ण क्षेत्र था | एल्लोरा की गुफाओं का महत्व इस बात से देखा जा सकता है कि सालों तक ये भिक्षुओं, प्रार्थनाओं के मंदिरों और तीर्थयात्रियों के आराम के लिए एक जगह के लिए मठों के रूप में जानी जाती रही थी |
अब यह चूँकि भारत सरकार के पुरातत्व विभाग की देख रेख में है और इसे देखने के लिए देश और विदेशों से बहुत से इतिहास प्रेमी आते है | महाराष्ट्र में स्थित यह गुफाएं औरंगाबाद शहर के 29 किलोमीटर (18 मील) उत्तर-पश्चिम और मुंबई से 300 किलोमीटर (190 मील) की दूरी पर है | इस से कुछ ही दूरी पर यानि के 100 किलोमीटर की दूरी पर ही ajanta caves है जो इसके समकालीन ही है और इन दोनों जगहों की भूमिका भारतीय पर्यटन में बहुत अधिक है |
तो ये है Ellora caves history in hindi और इस बारे में अधिक जानकारी या सलाह के लिए आप हमे ईमेल कर सकते है और हमसे hindi history updates पाने के लिए आप हमे फेसबुक पर फॉलो कर सकते है या फिर नीचे दिए गये घंटे के निशान पर भी क्लिक कर सकते है |
एलोरा की गुफाएं क्यों महत्वपूर्ण हैं:
एलोरा गुफाएं महाराष्ट्र के एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त करने वाली उपनगर एलोरा में स्थित हैं। यह विश्व धरोहर स्थल के रूप में यूनेस्को द्वारा मान्यता प्राप्त कर चुकी हैं। एलोरा की गुफाएं 2 वीं से 6 वीं सदी ईसा पूर्व के चालुक्य और राष्ट्रकूट शासकों द्वारा बनाई गई हैं। यहां के मुख्य गुफाएं विश्वविख्यात हैं और इनमें शिव और विष्णु के मंदिरों की सुंदरता, विस्मयकारी कलाकृतियां और वास्तुकला का अद्वितीय संगम देखा जा सकता है। इन गुफाओं के महत्वपूर्ण सांस्कृतिक, धार्मिक, और ऐतिहासिक महत्व के कारण ये पर्यटन स्थल के रूप में अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
अजंता की गुफाएं किसने और क्यों बनवाया
अजंता की गुफाएं 2 वीं से 6 वीं सदी ईसा पूर्व के बीच बनाई गईं थीं। इन गुफाओं का निर्माण महाराष्ट्र क्षेत्र में रहने वाले चालुक्य और राष्ट्रकूट शासकों ने करवाया था। ये गुफाएं बुद्धमत के महत्वपूर्ण केंद्रों के रूप में थीं और महायान बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए बनाई गईं। इनमें विभिन्न बौद्ध विषयों की पेंटिंग्स और स्कल्प्चर्स का संग्रह है, जो भारतीय कला के अत्यंत महत्वपूर्ण उदाहरणों में से गिने जाते हैं।
अजंता की गुफाओं का निर्माण एक चट्टानी पहाड़ पर किया गया था, जो विदर्भ क्षेत्र के नगर जिले में स्थित है। इन गुफाओं का निर्माण मुख्य रूप से तापमान और वातावरण के अवसरों का उपयोग करके किया गया था। इन गुफाओं को अजंता के महायान बौद्ध मठ के भाग के रूप में उपयोग किया जाता था, जहां बौद्ध साधुओं की आध्यात्मिक अभ्यास की जाती थी और धर्म संबंधी गुरुकुल की स्थापना होती थी
अजंता की गुफाओं की खोज किसने की थी?
अजंता की गुफाओं की खोज के बारे में स्पष्टता से कहना कठिन है क्योंकि इसके लिए कोई एक व्यक्ति या संगठन को श्रेय दिया जा सकता है। हालांकि, प्राचीन काल में इस क्षेत्र की गुप्त रहस्यमय स्थिति के बावजूद, अजंता की गुफाओं के बारे में ज्ञान का निर्माण और प्रसार अलग-अलग समयों में होता रहा है।
अजंता की गुफाओं की पहली लिखित उल्लेख चीनी यात्री ने किया था, जिसका नाम हुआन ट्सांग है। उन्होंने 7वीं शताब्दी में अपनी यात्रा के दौरान अजंता की गुफाओं के बारे में लिखा था। इसके बाद, विभिन्न पर्यटक, शिक्षाग्रही, और अन्वेषकों ने इन गुफाओं का अध्ययन किया और इनके बारे में अधिक जानकारी प्रदान की।
अजंता की गुफाओं का निर्माण किस वंश ने करवाया था?
अजंता की गुफाएं बनवाने का श्रेय महाराष्ट्र क्षेत्र में शासन करने वाले वकाटक वंश को जाता है। यह वंश 2 वीं से 6 वीं सदी ईसा पूर्व में विदर्भ क्षेत्र का शासन करता था। अजंता की गुफाओं का निर्माण इस वंश के शासकों ने करवाया था। उन्होंने बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार और आध्यात्मिक अभ्यास के लिए ये गुफाएं बनवाई थीं।
वकाटक वंश ने गुफाओं के निर्माण में विशेषतः विद्युतचेतना का उपयोग किया था, जिससे प्रकाश के रूप में दीप्ति और छवि की गठना की गई। इसके परिणामस्वरूप गुफाएं सुंदर चित्रकारी के साथ सजी हुई हैं और आदर्श बौद्ध कला के उदाहरणों में से गिनी जाती हैं।
इस प्रकार, अजंता की गुफाएं वकाटक वंश के द्वारा बनवाई गईं थीं और इनमें उनकी संस्कृति, कला और धार्मिक महत्वपूर्णता का प्रतीक मौजूद होता है।