अलैंगिक प्रजनन ( Asexual Reproduction ) क्या है
अलैंगिक जनन प्रजनन की वैसी विधि है, जिसमें संतति की उत्पत्ति केवल एक जनक के द्वारा ही होता है। प्रजनन की इस विधि को अलैंगिक जनन कहते हैं। अलैंगिक जनन में दो जनक की जरूरत नहीं होता है। जैसे कि हम जानते हैं लैंगिक जनन में दो जनक की आवश्यकता पड़ती है। जिसमें एक नर और एक मादा होता है अलैंगिक जनन में ऐसा नहीं होता है।
Example: –
- अलैंगिक जनन में दो जनक की जरूरत नहीं होता है।
- इसमें जनन कोशिका का निर्माण संलयन से नहीं होता है
- अलैंगिक प्रजनन में अर्धसूत्री विभाजन नहीं होता है
- इससे उत्पन्न संतति या संतान एक दूसरे के समान होते हैं इन्हें एक-दूसरे के समान होने के कारण क्लोन भी कहा जाता है
- प्रत्येक क्लोन को रिमेट(Remet) कहा जाता है
- अलैंगिक प्रजनन सामान्यतः छोटे श्रेणी के जीवो जैसे – एक कोशिकीय जीव, सरल पादप, एवं जंतु आदि में पाया जाता है
अलैंगिक प्रजनन की विशेषताएं
- यह प्रजनन एक जन किया होता है।
- इसमें युग्मक का संलयन नहीं होता है।
- इसमें अर्धसूत्री विभाजन नहीं होता है इसमें विभाजन समसूत्री होता है।
- यह प्रजनन की तीव्र विधि होता है।
- अलैंगिक प्रजनन द्वारा उत्पन्न संतति का अकार रचना एवं अन्य लक्षण में समान होता है।
अलैंगिक प्रजनन के लाभ
- यह एकल जनक के द्वारा होता है। यह प्रजनन की तीव्र विधि है।
- नवजात प्राणी जनक के वास्तविक प्रकृति के होते हैं।
- यह अलैंगिक प्रजनन की अपेक्षा सरल होता है।
- इसमें स्रोतों का उपयोग कम मात्रा में होता है